अनुसंधान एवं विकास
अनुसंधान एंव विकास
अनुसंधान एंव विकास की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, श्रेष्ठ उत्पादों और सेवाओं के नियमित प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने प्रारम्भ से ही सामथर्यवान विभाग को स्थापित करने की पहल की। आज धानुका की आर एंड डी टीम शायद सबसे बड़ी टीमों में से एक है, जिसका नेतृत्व प्रशिक्षित एग्री-वैज्ञानिक कर रहे हैं जिनकी सहायता के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिक / तकनीशियन हैं, जिन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) और देश भर के महत्त्वपूर्ण स्थानों पर आधारित अन्य अनुसंधान संस्थानों में कार्य करने का अनुभव है।
27 से अधिक अनुभवी वैज्ञानिक और युवा नए उत्पादों के मूल्यांकन, सूत्रण, विभिन्न फसलों पर उनके लाभ, उपयुक्त खुराक, अनुप्रयोग कार्यक्रम और स्प्रे तकनीकों जैसे कुछ विषयों पर देश भर के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में क्षेत्र स्तर पर अनुसंधान एंव विकास कार्य कर रहे हैं।
अनुसंधान एंव विकास विभाग का एसएयू, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति, भारत सरकार और अन्य ऐसे संस्थानों के साथ बेहतर संपर्क है। विकास विभाग के पास बाजार पूर्वानुमान संबंधी मामलों के निवारण, बदलते कृषि परंपराओं के वातावरण में कीटनाशकों की आवश्यकता का आकलन और कृषि-निवेश, उत्पाद पहचान, खेत पर ही कृषि उत्पाद के मूल्यांकन, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग से लेकर किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना, परियोजना के आधार पर पंजीकरण और उत्पाद विकास के लिए सेवाएं प्रदान करने आदि के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा उपलब्ध है।
हाल ही में, आरऐंडडी विभाग ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) और चाय अनुसंधान संघ सहित भारत के अग्रणी अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी में काम किया है। यह समूह विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए प्रतिवर्ष फैलोशिप / पुरस्कार प्रायोजित करता है।
अनुसंधान एंव विकास केंद्र
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने वैज्ञानिक आंकड़ों के निर्माण और नए अणुओं के मूल्यांकन के लिए गुड़गांव में स्थित धानुका अनुसंधान एंव विकास केंद्र को मान्यता दी है। यह प्रयोगशाला एनएबीएल द्वारा प्रमाणित है। यह केंद्र मृदा एंव जल परीक्षण, सलाहकार सेवाएं प्रदान करने और किसानों को एकीकृत फसल प्रबंधन (आईसीएम) तकनीक संबंधी मार्गदर्शन करने के लिए भी जाना जाता है, जिसमें आईपीएम और धानुका खेती की नई तकनीक शामिल हैं।
मुख्य ताकत
अनुसंधान एंव विकास विभाग निम्न बातों का कुशलतापूर्वक समर्थन करता है:
- देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नए और वर्तमान योगों का मूल्यांकन।
- नए उत्पादों का प्रसार और उनके बारे में जागरूकता पैदा करना।
- सही तकनीकी उपयोग के लिए उपभोक्ताओं तक सही सूचना पहुँचाना।
- राज्य के कृषि विभागों के साथ इंटरफेस विकसित करना।
- कृषि-निवेश डीलरों और किसानों का प्रशिक्षण।
- जैव-प्रभाव, अवशेष, दृढ़ता, विषाक्तता आदि जैसे विभिन्न मापदंडों के वैज्ञानिक आंकड़े तैयार करके कीटनाशकों का पंजीकरण और फसलों पर सूचना पत्रक लगाना।
- अभिनव और सुरक्षित योगों को विकसित करना जो सुरक्षित एवं पर्यावरण-मित्र पद्धति को रोकते हैं।
अन्य पहल
सार्वजनिक निजी साझेदारी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन मैनेजमेंट (मैनेज), हैदराबाद ने नई कृषि प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ाने तथा एमपी सरकार और एक निजी कंपनी में पीपीपी विकसित करने के लिए भोपाल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया था। चर्चाओं के आधार पर, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने पीपीपी के लिए सबसे पहले हाथ बढ़ाया। राज्य के कृषि विभाग से पावरखेड़ा (जिला होशंगाबाद) स्थित मृदा और जल परीक्षण प्रयोगशाला खरीदने के अलावा, धानुका ने मिट्टी और पानी के नमूना संग्रहण, विश्लेषण और परामर्श के मुद्दे, सैट कॉम प्रशिक्षण, एकीकृत फसल प्रबंधन (समग्र फसल संरक्षण सहित) के विषय में समग्र प्रदर्शन, कृषि यात्राओं, उपभोक्ता सामग्री के उत्पादन और वितरण, खेत के परिणामों के ज़रिये प्रदर्शन आदि को पूरी तरह से पुनर्गठित किया।
गतिविधियों के संयुक्त कार्यक्रम के गहन कार्यान्वयन के परिणाम स्वरूप, जिले में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि दर्ज हुई थी। इस सफलता को सम्मानित करने के लिए, भारत सरकार ने एमपी सरकार और धानुका समूह को 'राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद पुरस्कार' से सम्मानित किया।
इस पीपीपी का एक स्वतंत्र मूल्यांकन मैनेज द्वारा किया गया था और यह बताया गया था कि कृषि विस्तार क्षेत्र में पीपीपी के इस मॉडल (जैसा कि धानुका एग्रीटेक लिमिटेड द्वारा प्रदर्शित और कार्यान्वित किया गया है) का देश के अन्य जिलों में भी अनुकरण किए जाने की आवश्यकता है।
धानुका एग्रीटेक लिमिटेड और कृषि विज्ञान केंद्र, चोमू (जयपुर), राजस्थान ने प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और शोधन, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए कीटनाशक वितरकों और किसानों, विशेष रूप से सब्जी उत्पादकों के प्रदर्शन और प्रशिक्षण के लिए पीपीपी में प्रवेश किया था। इस परियोजना ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए पौधों के लिए संरक्षण रसायनों के सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर किसानों की जागरूकता बढ़ाई।
कृषि प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में एग्री-इनपुट डीलरों की विशिष्ट भूमिका को स्वीकार करते हुए, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन मैनेजमेंट (मैनेज), हैदराबाद ने 2001 में एक-वर्षीय ऑफ-कैंपस डिप्लोमा, एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विसेज़ फॉर इन-पुट डीलर्स (डीएईएसआई) आरंभ किया। धानुका एग्रीटेक लिमिटेड, मैनेज के साथ हाथ मिलाने वाली पहली कंपनी थी और इसने नामांकन को प्रोत्साहित करने के लिए 40 डीलरों का 50% पाठ्यक्रम शुल्क प्रदान किया। पास होकर निकलने वाले डीलरों के लिए राजमुंदरी में एक आशीर्वादात्मक कार्यक्रम संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता मैनेज के महानिदेशक ने की थी।
4 लाख से अधिक एग्री-इनपुट डीलरों के सकारात्मक प्रतिक्रिया के मद्देनजर, एग्री-इनपुट डीलरों के कृषि कौशल के उन्नयन के लिए धानुका सबसे आगे थी ताकि उन्हें कृषि प्रौद्योगिकी का विश्वसनीय स्रोत बनाया जा सके। धानुका की पहल से गुजरात के आनंद, नवसारी और जूनागढ़ में तीन एसएयूज़ ने कंपनी के साथ अपने साझेदारी कार्यक्रम की शुरुआत की, जो डीएईएसआई पाठ्यक्रम से बाहर है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने राजपत्र अधिसूचना (जीएसआर 840 (ई) दिनांक 5 नवंबर 2015 के माध्यम से कृषि-वस्तुओं की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने / नवीनीकरण करने के लिए योग्यता निर्धारित की है। धानुका द्वारा सभी हितधारकों के साथ सतत फॉलो-अप के परिणामस्वरूप, भारत सरकार ने हाल ही में राजपत्र में एक परिशिष्ट जारी कर एक वर्षीय डिप्लोमा (डीएईएसआई) को भी एक वैकल्पिक अर्हता के तौर पर शामिल किया है।
विस्तार निदेशालय, सी.एस. आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से, धानुका ने प्रदर्शनों, प्रदर्शनियों और किसान सभाओं के माध्यम से कृषि उत्पादन/संरक्षण प्रौद्योगिकी के बारे में समकालीन जानकारी उपलब्ध कराई, जिसमें चंद्र शेखर आज़ाद कृषक समिति, कानपुर के सदस्यों के लिए सामग्री संप्रेषण भी शामिल था।
देश में कम बीज प्रतिस्थापन दरों के कारण, भारत सरकार के, पौधा संरक्षण विभाग (कृषि मंत्रालय) ने नई सहस्राब्दी के बाद के वर्षों में खरीफ और रबी की फसलों में 100% बीज उपचार अभियान शुरू करने का निर्णय लिया। यह बड़े गर्व की बात है कि आरऐंडडी द्वारा प्रस्तावित बीज उपचार की बात को भारत सरकार द्वारा मामूली संशोधनों के साथ स्वीकृत और अनुमोदित किया गया। इस अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने अपने विशाल नेटवर्क के माध्यम से गाँवों में इस नेक पहल के प्रसार के लिए भारत सरकार के साथ भागीदारी की।
धानुका ने किसानों और गाँवों में घर-घर बीज उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए मेड इन इंडिया और आयातित 'बीजोपचार मशीनों' का निर्माण भी शुरू किया था।
केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य और पोषण परियोजना के तहत, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने मौके पर मृदा और जल परीक्षण के लिए आवश्यक यंत्रीय सुविधा और खेत परामर्श की सुविधा से लैस चल मृदा परीक्षण वैन्स प्रदान किए थे। यह वैन्स राजस्थान के अलवर जिले में परिचालन में थीं।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मिदनापुर जिले में मूंगफली की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए बीज उपचार और खरपतवारों के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग के साथ साझेदारी में एक संयुक्त कार्यक्रम शुरू किया गया था। परिणामस्वरूप आईपीएम सहित आईसीएम को अपनाने के प्रति किसानों में जागरूकता आई।
माँग के अनुसार उचित प्रौद्योगिकी समर्थन की सुविधा के लिए वैज्ञानिकों की संवादात्मक दौरों की व्यवस्था की जाती है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर; तमिलनाडु राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, आधुथुरई; मृदा और जल प्रबंधन अनुसंधान संस्थान, कट्टुथोत्तम्; तिलहन अनुसंधान केंद्र, तिंदीवनम; कृषि अनुसंधान स्टेशन, पट्टुकोट्टई; और राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान केंद्र, वम्बन के वैज्ञानिकों का ऐसा ही एक संवादात्मक दौरा आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, कृषि अनुसंधान केंद्र (दलहन), क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, लाम फार्म, गुंटूर और किसानों के अनुसंधान खेतों के लिए आयोजित किया गया था।
धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने नेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट, नई दिल्ली (आईसीएआर) द्वारा प्रायोजित और भिन्न-भिन्न एसएयूज़ द्वारा संचालित कपास, सेब, आम, सब्ज़ियों, चना आदि फसलों पर कई परियोजनाओं में भाग लिया। इन गतिविधियों की वजह से अच्छी संख्या में किसान लाभान्वित हुए हैं।
कृषक समुदाय के बीच बेहतरीन कृषि कार्यप्रणालियों को साझा करने के लिए मंचों को विकसित करने में धानुका एग्रीटेक लिमिटेड सहायक था। कृषि और सहकारिता राज्य मंत्री की घोषणा के बाद हरियाणा सरकार चाहती है कि धानुका एग्रीटेक लिमिटेड एक ऐसा मंच आयोजित करे जहाँ हरियाणा के कपास उत्पादक गुजरात के कपास उत्पादकों के साथ ज्ञान और अनुभव साझा कर सकें। इस पहल को धानुका एग्रीटेक लिमिटेड द्वारा प्रायोजित किया गयाऔर अमल में लाया गया, जिसमें किसानों के 4 समूहों को गुजरात के राजकोट और जामनगर में अनुभव साझा करने के लिए ले जाया गया था।
एक अन्य पहल के तहत, आंध्र प्रदेश के कृष्णा डेल्टा क्षेत्र में किसानों द्वारा प्रचलित तकनीक को अपनाकर काले चने का उत्पादन बढ़ाने के लिए तमिलनाडु के विभिन्न कृषि संस्थानों में काम करने वाले वैज्ञानिक, आंध्र प्रदेश में शोध संस्थानों और किसान के खेतों में जाने के इच्छुक थे। धानुका ने ऐसी ही एक संवादात्मक यात्रा का आयोजन किया था जिसमें छह संस्थानों के 17 वैज्ञानिक और चार केवीकेज़ ज्ञान और कृषि के अनुभव का आदान-प्रदान करने के लिए शामिल हुए।
पहली बार, निजी-निजी भागीदारी के तहत एक सहयोगात्मक परियोजना विकसित की गई है और अगस्त 2006 से बिहार लीची उत्पादक संघ के साथ कार्यान्वित की जा रही है ताकि चयनित लीची उत्पादकों तक बढ़िया लीची उत्पादन की उन्नत तकनीक पहुंचाई जा सके। इस परियोजना को भारत सरकार, आईसीएआई संस्थान लीची, नाबार्ड, एपीडा, बिहार सरकार, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, और आरएयू, पूसा का समर्थन प्राप्त है। इसने बिहार में लीची के उत्पादन की निर्यात क्षमता को बढ़ाया है।