कपास एवं नरमा - फसल प्रबंधन की चुनौतियाँ और पौध संस्थापन तथा पोषण प्रबंधन
Loading...
Dhanuka Blog Detail mobile banner section 1 image
great place to work
certified may 2018-april 2019 india

कपास एवं नरमा - फसल प्रबंधन

ByJune 24, 2020 Publisher
Dhanuka Blog Detail section 2 image

कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार और आय सृजन के लिए कपास अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कपास की खेती देश के तीन अलग-अलग कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों यानी उत्तर, मध्य और दक्षिण में की जाती है। वैश्विक स्तर पर, भारत में कपास का सबसे बड़ा क्षेत्रफल है और इसके उत्पादन में दूसरा स्थान है। रेतीली, लवणीय, या जलभराव वाली किस्मों को छोड़कर कपास को सभी मिट्टी पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

कपास एक कीट प्रिय पौधा है और इसी के कारण यह किसानों के लिए एक समस्याजनक फसल बन गया है। प्रमुख कपास कीट जैसे - तम्बाकू कैटरपिलर (Tobacco Caterpillar), गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm), चित्तीदार सुंडी (Spotted Bollworm), अमेरिकी बॉलवॉर्म (American Bollworm), माहू /चेंपा (Aphids) सफेद मक्खी (Whitefly) , हरा फुदका (Jassids), मीली बग (Mealy bug) और लाल मकड़ी /स्पाइडर माईट (Spider mite) हैं। बॉलवॉर्म कॉम्प्लेक्स एक प्राथमिक कीट समस्या है जिसमें बॉल्स और पत्तों पर लार्वा हमला करते हैं और अनियंत्रित होने पर महत्वपूर्ण उपज की हानि का कारण बनते हैं। कपास की सफेदी दुनिया भर में फाइबरए बागवानी और सजावटी फसलों के लिए प्राथमिक महत्व का एक कीट है। यह डायरेक्ट फीडिंगए हनीव्यू उत्पादन और एक वायरल वेक्टर के रूप में काफी नुकसान पहुँचा सकता है। कपास की फसल में निम्नलिखित प्रबंधनों तथा सुझावो का पालन, बढ़ा सकता है आपका उत्पादन उम्मीद से भी ज़्यादा।

कपास के शुरुआती 0 से 25 दिनों में

चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन

चुनौती - खरपतवार

धान की फसल में लगने वाले विभिन्न प्रकार के विकास के शुरुआती चरण में विभिन्न प्रकार के चौड़ी पत्ती और सकरी पत्ती वाले खरपतवार मैक्रो और माइक्रो पोषक तत्वो का अवशोषण कर कपास की फसल को प्रभावित करते हैं। परिणाम स्वरूप कपास की फसल का विकास कम होता है और पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है।

Dhanuka Blog Detail section 2 image

खरपतवार प्रबंधन - डोज़ों मैक्स

• डोज़ों मैक्स कपास की फसल के लिए अद्वितीय और चयनात्मक खरपतवारनाशक है

• डोज़ों मैक्स कपास के विकास के किसी भी अवस्था में नुकसान नहीं पहुँचता है

• डोज़ों मैक्स कपास की फसल में उगने वाले प्रमुख चौड़ी एवं सकरी पत्तियों वाले खरपतवारों पर बेहतरीन नियंत्रण करता है

• डोज़ों मैक्स माइक्रो इमल्शन (ME) फार्मूलेशन पर आधारित है

• डोज़ों मैक्स फसल में उगे हुए 2-3 पत्ती की अवस्था वाले खरपतवारों पर बेहतरीन नियंत्रण करता है

• डोज़ों मैक्स प्रयोग करने के बाद 25 से 30 दिनों के लिए खरपतवार मुक्त लम्बी अवधि प्रदान करता है

• डोज़ों मैक्स एक कम लागत वाली कपास खरपतवार प्रबंधन तकनीक है

Dhanuka Blog Detail section 2 image

खरपतवार प्रबंधन - टरगा सुपर एवं डोज़ों

कपास की फसल में चौड़ी और सकरी पत्तियों वाले खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए और तंदुरुस्त फ़सल की नीव रखने के लिए टरगा सुपर के साथ डोज़ों को मिलाकर प्रयोग करे।

Dhanuka Blog Detail section 2 image

• टरगा सुपर एरायलॉक्सीफेनॉक्सी प्रोपियोनेट्स समहू का चयनशीलए प्रणालीगत खरपतवारनाशक है।

• टरगा सुपर का प्रयोग कपास की फसल में पतली पत्तियो वाले खरपतावर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

• टरगा सुपर खरपतवारो द्वारा बहतु तेजी से अवशोषित कर लिया जाता है और उन्हें नष्ट करने के लिए सही स्थान पर भेज दिया जाता है। प्रभावित खरपतवार फिर से नहीं पनप पाते है।

• टरगा सुपर द्वारा खरपतवार तेजी से अवशोषित कर लिया जाता है इसलिए छिड़काव के एक घंटे बाद भी यदि बारिश हो जाए तो इसका प्रभावकारिता में कोई कमी नहीं आता।

• टरगा सुपर के छिड़काव के बाद 5-8 दिनो के भीतर खरपतवार के पत्तियो का रंग बैंगनीध्लाल हो जाता है और 10-15 दिनो में पूरी तरह से समाप्त हो जाता है।

• डोज़ों कपास के लिए एक चयनात्मक खरपतवारनाशक है जो पतली पत्ती के प्रमुख खरपतवारों पर बेहतरीन एवं लम्बे समय तक नियंत्रण देता है।

• डोज़ों के प्रयोग से आपको शुरुवाती दिनों में खरपतवार मुक्त फ़सल मिलती है जो आने वाले दिनों में आपको देता है तंदुरुस्त फ़सल और सर्वोत्तम उत्पादन।

Dhanuka Blog Detail section 2 image

प्रयोग का समय - 0-25 दिन

मात्रा – 300-400 (टरगा सपुर) एवं 250 मि.ली. प्रति एकड़ (डोज़ों)

चुनौती - पौध संस्थापन और पोषण प्रबंधन

धान की फसल के विभिन्न चरणो मे कपास की फसल में शुरुआती दिनों में फसल की मूल भूमि में स्थापना, उसके जड़ों का विकास और बढ़ाव एवं मिट्टी से पोषक तत्वों का बेहतर ग्रहण सुनिश्चित करता है कि आने वाले दिनों में आपकी कपास या नरमे कि फसल कि संवृद्धि कैसी होगी। शुरुवाती विकास सुनिश्चित करेगी कि आप कि फसल रोग और कीटों एवं मौसम के अनिश्चिताओं से कैसे संघर्ष करेगा और फसल के कटने तक किस प्रकार से उसकी वृद्धि होगी।

प्रारम्भिक चरणों में फसल की अच्छी नीव रखने में आप बिलकुल संकोच न करें बल्कि यह सुनिश्चित करें की फसल को सबसे बेहतरीन पोषण प्रबंधन मिले।

Dhanuka Blog Detail section 2 image

पौध संस्थापन और पोषण प्रबंधन

• माईकोर एक हाई इल्डिंग टेक्नोलॉजी ( आरबस्कूलर माइकोराइजा फंगाइ से निर्मित उत्पाद है ) जिसकी आधुनिक तकनीक मिटटी में माइक्रोबायोम गतिविधियां बढ़ाता है , जिससे आपके खेतों में पौधों के स्वास्थ व् पैदावार में निरंतर सुधार होता है

• माईकोर के प्रयोग करने पर, माइकोराइजा के बीजाणु फसलों के जड़ों में पहुंच जाते हैं और जड़ों के अंदर से काम करना शुरू करते हैं ।

• माईकोर मिट्टी में गहराई तक पहुंच कर फसल को अधिक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन , फॉसफोरस,कैल्शियम , जिंक , मैग्नेसियम आदि एवं जल प्रदान करते हैं ।

• माईकोर मिट्टी में जड़ों की क्षेत्रफल को बढ़ाता है , जिससे फसल को अच्छी तरह से बढ़ने और किसान को उच्च उपज प्राप्त करने में मदद मिलती है।

• माईकोर जड़तंत्र को बेहतरीन तरीके से विस्तारित करता है।

• माईकोर मिट्टी की उर्वरकता एवं जड़ों से पोषक तत्व को सोखने की क्षमता को बढ़ाता है।

• माईकोर पौधे में पानी सोखने की क्षमता को बढ़ाता है।

• माईकोर पर्यावरण की प्रतिकूलता के प्रति सहनशीलता में सुधार लाता है।

Dhanuka Blog Detail section 2 image

प्रयोग मात्रा – 4 कि .ग्रा . प्रति एकड़

प्रयोग का उचित समय - प्रत्यारोपण के 0 से 3 दिनों के अंदर या मुख्य उर्वरक के साथ अथवा बुआई /प्रत्यारोपण के 15-20 दिनों के अंदर

*माईकोर – सभी प्रकार के उर्वरक एवं मिट्टी पर प्रयोग हेतु तैयार अन्य उत्पादों के साथ मिलने हेतु सक्षम है सिर्फ फफूंदीनाशकों को छोड़कर

• धनज़ाईम गोल्ड जी आर मृदा की जीवाणुतत्व गतिविधि को बढ़ाता है और पौधों को स्वस्थ बनाता है।

• धनज़ाईम गोल्ड जी में हाइड्रोलाइज़्ड प्रोटीन कॉम्पलेक्सेस और एंजाइम्स होते हैं जो पौधे में विभिन्न सक्रिए प्रोटीन अणुओ के लिए मूलभूत बिल्डिंग ब्लॉक प्रदान करते है।

• धनज़ाईम गोल्ड जी पोषक तत्वो एवं जल के बेहतर अवशोषण हेतु जड़ प्रणाली के स्वस्थ एवं प्रचूर विकास में मदद करता है।

• धनज़ाईम गोल्ड जी मृदा की गतिविधि का सूक्ष्म जीव विज्ञान पौधे को स्वस्थ बनाता है।

• धनज़ाईम गोल्ड जी प्रतिकूल मौसम का सामना करने के लिए पौधे की शक्ति बढ़ाता है।

मात्रा – 5 किलो ग्राम प्रति एकड़

प्रयोग का समय - 0-25 दिन

Dhanuka Blog Detail section 2 image

Popular on Dhanuka

कपास एवं नरमा - फसल प्रबंधन

कपास एवं नरमा - फसल प्रबंधन

ByJune 24, 2020